रौनक़-ए-दिल निखार कर रहिए उस का ग़म है सँवार कर रखिए चाहे छोटी हो इश्क़ की चादर पाँव अपने पसार कर रखिए आइए खुल के बात करते हैं पहले चेहरा उतार कर रखिए इस में ख़ैरात पड़ने वाली है अपना बर्तन सँवार कर रखिए जब तलक लौट कर न आए वो उस को तब तक पुकार कर रखिए रूह वापस पलटने वाली है जिस्म को तार तार कर रखिए जीत जाओगे रहती दुनिया तक इश्क़ में ख़ुद को हार कर रखिए