रौशनी करने आया था सूरज साए देखे तो ढल गया सूरज पर्दा जब भी हटाया खिड़की से मेरे कमरे में आ गया सूरज आ गए हम छतों से कमरों में और हमें ढूँढता फिरा सूरज चाँदनी भी उदास लगती है मुझ को वीरान कर गया सूरज रात ने बादबान खोल दिया अपना सामान ले गया सूरज सारा दिन कान बजते रहते हैं हर किरन है तिरी सदा सूरज एक मैं ही नहीं हूँ दुनिया में तेरा सब से है राब्ता सूरज कोई दीवार भी नहीं हाइल तेरा दरबार है खुला सूरज साँस तेरी है सब के सीनों में सब तुझी से है सिलसिला सूरज मेरा तेरा मुक़ाबला कैसा मैं तो हूँ घर का इक दिया सूरज आज का दिन 'ख़लील' क्या गुज़रा आज दिल से उतर गया सूरज