रौशनियों से भर दिया है मुझे उस ने ख़ुद जैसा कर दिया है मुझे आँख झपकूँ तो काँपता है दिल नींद ने ऐसा डर दिया है मुझे मुझ से उम्मीद है भलाई की और ख़ुद तू ने शर दिया है मुझे आप से पहले यूँ नहीं था मैं आप ने जैसा कर दिया है मुझे यूँ किया हम को लाज़िम-ओ-मलज़ूम संग उस को तो सर दिया है मुझे क्या तवाज़ुन उड़ान में रक्खूँ उस ने बस एक पर दिया है मुझे इन दरिंदों में रखने का मतलब उस ने आज़ाद कर दिया है मुझे क्या अजब दी है बे-रुख़ी की सज़ा उस ने चौखट पे धर दिया है मुझे