उन के चेहरा पे नूर रहता है कोई दिल में ज़रूर रहता है मैं तो उन की रज़ा पे चलता हूँ फिर भी मेरा क़ुसूर रहता है उस के बारे में सोचता क्यों है जब नज़र से वो दूर रहता है कीना-परवर जिसे कहे दुनिया उस के दिल में फ़ुतूर रहता है ग़म से आज़ाद कौन है 'फ़रमान' ये भला किस से दूर रहता है