रोक सकता था किसी को मैं मगर जाने दिया मुझ में कोई मर रहा था मैं ने मर जाने दिया ख़्वाब था आँखों में मेरी मैं ने आँखें खोल दीं और उस ख़ुशबू को सारे में बिखर जाने दिया रफ़्ता-रफ़्ता दिल को दुनिया की हवा रास आ गई रफ़्ता-रफ़्ता हम ने अपना ज़ख़्म भर जाने दिया और अब वो लोग मेरी राह की दीवार हैं जिन को मैं ने अपने अंदर से गुज़र जाने दिया शाम कोई दिल से हो कर जा रहा था 'आफ़्ताब' हम ने देखा इक नज़र और देख कर जाने दिया