रुकावट रास्ते की मील का पत्थर नहीं होता नज़र मंज़िल पे हो तो फ़ासलों का डर नहीं होता क़िला ईमान का मज़बूत हो तो सर नहीं होता ख़ुदा से डरने वालों को किसी का डर नहीं होता भटकती है ख़ुशी ख़ाना-बदोशी की तरह दर दर जहाँ में मुस्तक़िल उस का कहीं भी घर नहीं होता फ़क़त आ'माल और किरदार पर हैं मुनहसिर रुत्बे कमा कर माल-ओ-दौलत आदमी बरतर नहीं होता ग़रीबी मुल्क में फैली हुई कैसे दिखाई दे सियासी ऐनकों में दूर का नंबर नहीं होता रसद आती नहीं 'दानिश' कभी जंग-ए-मुक़द्दर में बशर तन्हा ही लड़ता है कोई लश्कर नहीं होता