सात सुरों में दर्द रचा है तेरे बिन कुछ यूँ दिल का साज़ बजा है तेरे बिन सब्ज़ रुतों के ठंडे मीठे मौसम में दिल कितना बेज़ार रहा है तेरे बिन तारा तारा तेरी बातें होती हैं चाँद इधर ख़ामोश खड़ा है तेरे बिन तुझ से मिल कर अक्सर ये एहसास हुआ दुनिया में क्या ख़ाक पड़ा है तेरे बिन