सब तमाशे हो चुके अब घर चलो दीदा-ओ-दिल खो चुके अब घर चलो कर चुके सैराब अश्कों से ज़मीं दर्द-दाना बो चुके अब घर चलो कर चुके टोपी में जुगनू को असीर साँप का मन खो चुके अब घर चलो ख़्वाहिशें थक-हार के रुख़्सत हुईं बोझ सारे ढो चुके अब घर चलो मुंतज़िर होगा कोई दहलीज़ पर इस सरा में सो चुके अब घर चलो काटने को दौड़ता है रास्ता हम-सफ़र सब खो चुके अब घर चलो इक नई करवट बदल डालो 'सुहैल' सब ही पहलू सो चुके अब घर चलो