सब्र करेंगे जब तक इश्क़ नहीं होता देखें उस को कब तक इश्क़ नहीं होता शिरकत कुछ तो लाज़िम है मतलूब की भी तालिब के मतलब तक इश्क़ नहीं होता उस के बा'द अमावस भी तो पड़ती है पूरे चाँद की शब तक इश्क़ नहीं होता दिल-दरिया में ग़ोते खाने पड़ते हैं देखो लब से लब तक इश्क़ नहीं होता हम तो जाने कब के जल कर ख़ाक हुए लेकिन उन को अब तक इश्क़ नहीं होता चेहरे की सारी रौनक़ उड़ जाएगी हँसते रहिए जब तक इश्क़ नहीं होता