सच बोलने वाले को ही इल्ज़ाम मिलेगा जो झूट कहेगा उसे इनआ'म मिलेगा दरबार में जो हाशिया-बरदार रहे हैं सुनते हैं उन्हें आज बड़ा काम मिलेगा इस धूप में साए की तमन्ना न करो तुम वो हुस्न-ए-मुजस्सम तो सर-ए-शाम मिलेगा दीदार की हसरत है तो नज़रों को उठाओ देखो वो हसीं चेहरा लब-ए-बाम मिलेगा जिन आँखों ने गुजरात के देखे हैं मनाज़िर ता-उम्र उन्हें अब नहीं आराम मिलेगा इस शहर में 'आज़म' जिसे तुम ढूँड रहे हो आवारा-सिफ़त शाइ'र-ए-बदनाम मिलेगा