सच सच अपना क़िस्सा लिख By Ghazal << तिरे नक़्श-ए-पा हों जिस म... मचलते तीर को आने तो दे नि... >> सच सच अपना क़िस्सा लिख जैसा है तू वैसा लिख हँसने को इक दुनिया लिख रोने को बस कमरा लिख सब बहरों में शेर लिखूँ उनवाँ पूरी दुनिया लिख वो हँस दे तो फूल खिलें उस का रोना दरिया लिख जिस में हो इख़्लास-ए-वफ़ा 'जौहर' शेर तू ऐसा लिख Share on: