सदियों सीखेगा अभी जान लुटाना मिरी जान By Ghazal << निकल पड़े हैं सनम रात के ... ग़ुंचे से मुस्कुरा के उसे... >> सदियों सीखेगा अभी जान लुटाना मिरी जान तब मुक़ाबिल मिरे आएगा ज़माना मिरी जान छोड़ आते हो कभी रूह कभी जिस्म अपना जब भी मिलते हो नया एक बहाना मिरी जान अब भी गलियों में मोहब्बत की अँधेरा है बहुत एक दिल और दरीचे में जलाना मिरी जान Share on: