सफ़र और धूप का जंगल इलाही कोई साया कोई बादल इलाही मिरी सोचें मिरे अफ़्कार ज़ख़्मी मिरे हर्फ़-ओ-सदा घायल इलाही मुसलसल आँधियाँ और मेरे दिल में तिरे ईक़ान की मशअ'ल इलाही ये आहों और कराहों से भरा आज ये अंदेशों में डूबा कल इलाही दिमाग़ों में धुआँ बातों में बारूद कोई आसूदगी का पल इलाही हज़ारों बस्तियाँ हैं महव-ए-फ़रियाद कोई इन मसअलों का हल इलाही