सफ़र है धूप का और साथ साए रखती हूँ किसी की याद को दिल में छुपाए रखती हूँ मिरा ख़याल तो कोई बदल नहीं सकता जो राय रखती हूँ बस एक राय रखती हूँ हवा हो कितनी ही सरकश फ़ज़ा हो यख़-बस्ता मैं अपने दिल का अलाव जलाए रखती हूँ उदास मैं कभी तन्हाइयों में भी न रही तिरे ख़याल की महफ़िल सजाए रखती हूँ ये मुम्किनात में शामिल है वो पलट आए हमेशा दिल की ये ख़ाली सराए रखती हूँ