सहर को खोज चराग़ों पे इंहिसार न कर हवा से दोस्ती रख उस का ए'तिबार न कर यक़ीन कर ओ मोहब्बत यही मुनासिब है ज़ियादा दिन मिरी सोहबत को इख़्तियार न कर ये कोई रिश्ता नहीं है फ़क़त नदामत है तू मुझ से उम्र में कम है सो मुझ से प्यार न कर मुझे पता है कि बर्बाद हो चुका हूँ मैं तू मेरा सोग मना मुझ को सोगवार न कर है कौन कौन मिरे साथ इस मुसीबत में मैं अपने साथ नहीं हूँ मुझे शुमार न कर मैं ख़ाक ख़ुद तुझे लब्बैक कहने वालों में मुझे बुलावा न दे मेरा इंतिज़ार न कर