सँभल दिल कि नाज़ुक बहुत इम्तिहाँ है मोहब्बत सुबुक है अगर सरगिराँ है मिरा हाल-ए-दिल पूछते हो अज़ीज़ो मिरा हाल-ए-दिल रंग-ए-रुख़ से अयाँ है इलाही मिरे ज़ब्त की लाज रखना वो ना-मेहरबाँ आज फिर मेहरबाँ है बहार आ रही है धड़कने लगा दिल मिरी सम्त क्यों मुल्तफ़ित बाग़बाँ है इक उजड़ी सी नगरी में सुनसान सा घर ये मेरा पता है ये मेरा निशाँ है मिटाते रहे वो पुकारा किया मैं मिरा आशियाँ है मिरा आशियाँ है मिरे साथ दुनिया का बरताव 'आलिम' अजब वाक़िआ' है अजब दास्ताँ है