सामना है निगाह-ए-क़ातिल का देखना हौसला मिरे दिल का हाए कहना अदा से क़ातिल का हम को दिखलाओ रक़्स बिस्मिल का चले मुँह फेर कर वो मक़्तल से हाल देखा गया न बिस्मिल का जोश-ए-वहशत में तेरा दीवाना क्यों न मुश्ताक़ हो सलासिल का खींच कर उन को मेरे घर लाया असर आख़िर को जज़्ब-ए-कामिल का शैख़ ख़ामोश हो ख़ुदा के लिए ज़िक्र रिंदों में क्या मसाइल का काश वो चुटकियाँ ही लें आ कर मश्ग़ला कुछ तो हो दुखे दिल का बोसा दे डालो हुस्न की ख़ैरात रद न कीजे सवाल साइल का ऐ सबा कर भी क़ैस पर एहसान तू ही पर्दा उठा दे महमिल का शक था मिट्टी का न हो आशिक़ के इत्र क्यूँकर वो सूँघते गुल का नज़्अ' में भी 'दिलेर' आए न वो रह गया दिल में हौसला दिल का