समुंदरों की तरह गहरे लोग पाओगे सँभल के चलना यहाँ वर्ना डूब जाओगे हर एक चीज़ के पीछे भटकना ठीक नहीं किसी सराब से तुम प्यास क्या बुझाओगे तुम अपने दिल को सँभालो ज़रा ऐ हम-नफ़सो जुनून-ए-शौक़ में कब तक फ़रेब खाओगे ज़माना भाग रहा है तो पीछे मत भागो ज़रा सी ठेस लगी तो सँभल न पाओगे सब अपने हाथ में पत्थर लिए खड़े हैं 'मजीद' हक़ीक़तों का किसे आइना दिखाओगे