साँस चलती है जान बाक़ी है इश्क़ का इम्तिहान बाक़ी है पर-शिकस्ता न जानिए साहिब हौसलों की उड़ान बाक़ी है आख़िरी तीर भी है तरकश में हाथ में भी कमान बाक़ी है पाँव के नीचे है ज़मीं अब तक सर पे भी आसमान बाक़ी है आँधियाँ हो गई हैं फिर नाकाम बस्तियों में मकान बाक़ी है