सरों पे बिजली गिरी तार थरथराने लगे मगर ये गीत नई नस्ल को सुहाने लगे हम अपने सर्द सवालों पे ज़र्द हैं और आप जवाब बन नहीं पाया तो मुस्कुराने लगे भला हो वक़्त का वो रास्ता भटक गई थी मदद के रास्ते हम रास्ता बनाने लगे वो जिस को आप ने नायाब पेंटिंग कहा है मुझे तो पाँच छे रंगों के चार ख़ाने लगे तिरी नज़र के बदलने से वक़्त यूँ बदला मिरे ही फ़ैसले मेरे ख़िलाफ़ जाने लगे