साथ कश्ती के अचानक बादबाँ भी जल उठा By Ghazal << गर चाहते हो फ़र्श से अफ़्... आप नूर-अफ़शाँ हैं रात के ... >> साथ कश्ती के अचानक बादबाँ भी जल उठा पानियों में डूबता साया मकाँ भी जल उठा जिस परिंदे ने किया ता'मीर दे कर ख़ून-ए-दिल बिजलियों की ज़द में उस का आशियाँ भी जल उठा मेरा चेहरा माहताबी देख कर सूरज जला और हद है चाँद जैसा राज़-दाँ भी जल उठा Share on: