साथ मेहर-ओ-ख़ुलूस-ओ-उल्फ़त है मेरे अस्लाफ़ की अमानत है एक इक लम्हा बेश-क़ीमत है सिर्फ़ एहसास की ज़रूरत है बेटियों का वजूद रहमत है माँ के क़दमों के नीचे जन्नत है डाली डाली ख़िज़ाँ-रसीदा है बे समर नख़्ल-ए-आदमिय्यत है एक जानिब तज़ाद-ए-क़ौल-ओ-अमल इक तरफ़ मंसब-ए-शहादत है हर ज़माना मिरा वजूद-शनास हर सदी पर मिरी हुकूमत है मुत्तहिद हो तो साँस लोगे फिर तफ़रक़ा ज़ह्र है हलाकत है तुम जो 'हनफ़ी' ख़ुदा को भूल गए बस उसी का वबाल ज़िल्लत है