सौ तरह का छोड़ कर आराम तेरे वास्ते कू-ब-कू फिरता हूँ ऐ ख़ुद-काम तेरे वास्ते इश्क़ ने तेरे मुझे इस रंग को पहुँचा दिया मुँह से हर इक के सुना दुश्नाम तेरे वास्ते महर के मानिंद खाता चर्ख़ फिरता हूँ ख़राब सुब्ह से ऐ मह-जबीं ता-शाम तेरे वास्ते ग़ुंचा ओ गुल ले रहे हैं साक़िया मज्लिस हैं चल शीशे मेरे वास्ते और जाम तेरे वास्ते आ बनी है अब 'निसार'-ए-ना-तवाँ की जान पर देखना टुक ऐ दिल-ए-नाकाम तेरे वास्ते