साया देता नहीं शजर मेरा By Ghazal << तेरा रस्ता भी देखता है बह... सारी रात न सोने से >> साया देता नहीं शजर मेरा मुझ पे खुलता नहीं हुनर मेरा हूँ सफ़र में कई ज़मानों से रास्ता देखता है घर मेरा कुछ हुआ है मिरे दरीचों में इक परिंदा है शाख़ पर मेरा बारिशों के क़रीब रहता है इस लिए सब्ज़ है शजर मेरा Share on: