तेरा रस्ता भी देखता है बहुत तुझ से इक शख़्स जो ख़फ़ा है बहुत चाहता तुझ से कुछ नहीं लेकिन दिल तुझे अब भी चाहता है बहुत इस्तिआ'रा न हो ये दूरी का तू मिरे पास आ चुका है बहुत देख कर ख़ाली रास्ते में चराग़ आज क्या याद आ रहा है बहुत पत्ती पत्ती बिखेर दे न कहीं जो मुझे फूल भेजता है बहुत