शब-ए-ग़म को सहर करना पड़ेगा क़यामत तक सफ़र करना पड़ेगा सवा नेज़े पे सूरज आ गया है ये दिन भी अब बसर करना पड़ेगा ये आँखें सीपियाँ हैं इस लिए भी हर आँसू को गुहर करना पड़ेगा बहुत लूटा है दिल को आगही ने इसे अब बे-ख़बर करना पड़ेगा कहाँ तक दर-ब-दर फिरते रहेंगे तुम्हारे दिल में घर करना पड़ेगा सितारे कज-रवी पर आ गए हैं जहाँ ज़ेर-ओ-ज़बर करना पड़ेगा मोहब्बत काम ही ऐसा है 'शहज़ाद' न चाहेंगे मगर करना पड़ेगा