शग़्ल है मेरा सफ़र में रहना मेरी आदत नहीं घर में रहना कितना आसान समझते हैं लोग सोहबत-ए-आइना-गर में रहना लोग आएँगे चले जाएँगे तू मगर मेरी नज़र में रहना अपने अंदर भी अना पैदा कर छोड़ ग़ैरों के असर में रहना क़ुर्बतें इतनी सुबुक हैं जैसे ख़ुशबुओं का गुल-ए-तर में रहना है अलामात-ए-हुनर में शामिल बंद आँखों का सफ़र में रहना मैं किसी दिल में रहूँगा 'अख़्तर' क्या किसी राहगुज़र में रहना