शाख़ें तराश कर मुझे महदूद मत करो छाँव घने चिनार की नाबूद मत करो इंसाँ हूँ गुनहगार हूँ तो मुझ को दो सज़ा मुझ को सिपुर्द-ए-ख़्वाहिश-ए-मा'बूद मत करो शीशे में देख कर ज़रा पहचान लो मुझे ख़ाकों में अपने जलवों को महदूद मत करो हम सब ने कितने प्यार से दुनिया सँवार दी इस पर ख़ुदा-रा बारिश-ए-बारूद मत करो हो रौशनी शुऊ'र की और दिल की चाँदनी ऐ दोस्त इस को तीरगी-ए-दूद मत करो