शक्ल उस की किसी सूरत से जो दिखलाए हमें By Ghazal << तारीकियों का हम थे हदफ़ द... दम-ए-मर्ग बालीं पर आया तो... >> शक्ल उस की किसी सूरत से जो दिखलाए हमें दोस्त ऐसा नहीं मिलता है कोई हाए हमें बिन बुलाए जो सदा आप चला आता था अब ये नफ़रत उसे आई कि न बुलवाए हमें फ़ाएदा क्या है नसीहत से फिरे हो नासेह हम समझने के नहीं लाख तू समझाए हमें Share on: