शराफ़त छीन लेती है सदाक़त छीन लेती है क़लमकारों से ख़ुद्दारी ज़रूरत छीन लेती है रिया-कारी से बचिए ये बहुत ज़हरीली नागिन है ये नागिन ज़िंदगी भर की इबादत छीन लेती है ज़माने में ज़रूरी है बहुत ता'लीम का होना जहालत आदमी से आदमियत छीन लेती है भरी हो जेब तो इंसाँ नशे में चूर रहता है ज़रा सी तंग-दस्ती सब नज़ाकत छीन लेती है अगर जन्नत की चाहत है तो ख़िदमत शर्त है माँ की अगर माँ रूठ जाती है तो जन्नत छीन लेती है जहाँ तक हो सके आलम किसी से क़र्ज़ मत लेना मियाँ ये क़र्ज़-दारी ख़ैर-ओ-बरकत छीन लेती है