शौक़ दीदार तक कहाँ पहुँचा हुस्न मेआ'र तक कहाँ पहुँचा जल बुझा आप अपनी धूप में शौक़ तेरी दीवार तक कहाँ पहुँचा तेरी नज़रों ने रास्ता न दिया हौसला दार तक कहाँ पहुँचा शाम-ए-गेसू-ए-यार का मारा सुब्ह-ए-रुख़्सार तक कहाँ पहुँचा सेहर भी अपनी ख़ुश-नवाई का उस की गुफ़्तार तक कहाँ पहुँचा मुद्दआ' दिल का आज भी 'नाज़िम' लब-ए-इज़हार तक कहाँ पहुँचा