शोर साहिल से मचाना और है डूब जाने से बचाना और है ग़म में ख़ुद आँसू बहाना और है हँस के दुनिया को रुलाना और है नावक-अफ़गन ताइर-ए-बिस्मिल है दिल उस का अंदाज़-ए-निशाना और है क्या करूँ सय्याद तुझ को बाग़ बाग़ अब क़फ़स में हूँ तराना और है सख़्त दिल को दे जो नरमी से शिकस्त उस की शान-ए-फ़ातेहाना और है दिल के लुटने की ख़बर क्या ख़ाक हो उस की शोख़ी शातिराना और है दिल में छुरियाँ लब पे बातें नर्म नर्म किस क़दर रंग-ए-ज़माना और है वो किसी की बात क्यों सुनने लगे आज-कल उन का ज़माना और है और भी तो आशियाँ हैं बिजलियो क्या मिरा ही आशियाना और है दिल में है 'वासिफ़' वला-ए-अहलियत हम फ़क़ीरों का ख़ज़ाना और है