सीने में दिल-ए-आगाह जो हो कुछ ग़म न करो नाशाद सही बेदार तो है मशग़ूल तो है नग़्मा न सही फ़रियाद सही हर-चंद बगूला मुज़्तर है इक जोश तो उस के अन्दर है इक वज्द तो है इक रक़्स तो है बेचैन सही बर्बाद सही वो ख़ुश कि करूँगा ज़ब्ह उसे या क़ैद-ए-क़फ़स में रक्खूँगा मैं ख़ुश कि ये तालिब तो है मिरा सय्याद सही जल्लाद सही