ख़ाक हूँ ए'तिबार की सौगंद मुज़्तरिब हूँ क़रार की सौगंद मिस्ल-ए-आईना पाक-बाज़ी में साफ़ दिल हूँ ग़ुबार की सौगंद हौज़-ए-कौसर सीं प्यास बुझती नहीं उस लब-ए-आबदार की सौगंद मो'तबर नहीं जमाल ज़ाहिर का गर्दिश-ए-रोज़गार की सौगंद ज़िंदगी ऐ 'सिराज' मातम है मुझ कूँ शम-ए-मज़ार की सौगंद