सीरत अच्छी है तिरी यार जमाल अच्छा है तू बहर-तौर बस ऐ नेक-ख़िसाल अच्छा है बे-क़रारी है वो अगली सी न वो दर्द-ए-जिगर अब तो कुछ कुछ तिरे बीमार का हाल अच्छा है कब तिरे ख़ाल-ए-मुनव्वर से हैं तारे अच्छे कब तिरे अबरू-ए-पुर-ख़म से हिलाल अच्छा है देख कर आइने में क़ामत-ए-अबरू से कहा गुलशन-ए-दहर में इक ये ही निहाल अच्छा है एक बोसा पे जो दिल देता है 'साबिर' ले लो मोल कम है मगर ऐ जान ये माल अच्छा है