सिर्फ़ बैठे हुए आहें न भरो इशरत-ए-दिल के लिए कुछ तो करो वलवलों को न कहीं नींद आ जाए सितम-ए-अहल-ए-सितम से न डरो है ये क़िस्मत की शिकायत बे-सूद तुम में जौहर भी है कुछ बे-हुनरो दाग़ ही दाग़ नज़र आएँगे चाँद में भी तुम्हें ऐ कम-नज़रो मंज़िल-ए-सब्र बहुत आगे है सरहद-ए-ज़ुल्म से बेदाद-गरो अपने घर-बार से रहना होश्यार मेरा घर फूँक के शोरीदा-सरो ख़ून-ए-दिल अपना बहा कर 'जर्रार' रंग-ए-तस्वीर मोहब्बत में भरो