सिसकियों को दबा के रोया हूँ अपने आँसू छुपा के रोया हूँ रंज-ओ-ग़म अपने बेबसी दिल की अपने रब को बता के रोया हूँ सोच कर ये कि बह ही जाए ग़म आँसूओं में समा के रोया हूँ जिस को खोने का डर सा रहता था देखो उस को मैं पा के रोया हूँ उस की ख़ातिर उसी को छोड़ा है उस को ख़ुशियाँ दिला के रोया हूँ तेरा ग़म तो हुआ नसीब मुझे चलो कुछ तो कमा के रोया हूँ ज़ख़्म इक दिल पे खा के रोया हूँ वास्ते बेवफ़ा के रोया हूँ सौ तरह के सवाल होंगे सो मैं बहाना बना के रोया हूँ भरी महफ़िल में अपनी बातों से बाक़ी सब को हँसा के रोया हूँ मुझ को देखो 'हदीद' चेहरे पर मुस्कुराहट सजा के रोया हूँ