सितम देखो कि जो खोटा नहीं है चलन में बस वही सिक्का नहीं है नमक ज़ख़्मों पे अब मलता नहीं है ये लगता है वो अब मेरा नहीं है यहाँ पर सिलसिला है आँसुओं का दिया घर में मिरे बुझता नहीं है यही रिश्ता हमें जोड़े हुए है कि दोनों का कोई अपना नहीं है नए दिन में नए किरदार में हूँ मिरा अपना कोई चेहरा नहीं है मिरी क्या आरज़ू है क्या बताऊँ मिरा दिल मुझ पे भी खुलता नहीं है मिरे हाथों के ज़ख़्मों की बदौलत तिरी राहों में इक काँटा नहीं है सफ़र में साथ हो गुज़रा ज़माना थकन का फिर पता चलता नहीं है मुझे शक है तिरी मौजूदगी पर तू दिल में है मिरे अब या नहीं है तिरी यादों को मैं इग्नोर कर दूँ मगर ये दिल मिरी सुनता नहीं है ज़रा सा वक़्त दो रिश्ते को 'कानहा' ये धागा तो बहुत उलझा नहीं है