सियासत में अदाकारी तो पहले से भी बढ़ कर है हर इक लीडर में मक्कारी तो पहले से भी बढ़ कर है कोई भी काम आसानी से हो जाए नहीं मुमकिन हर इक दफ़्तर में दुश्वारी तो पहले से भी बढ़ कर है करोड़ों का है ठेका ख़र्च होते हैं मगर लाखों ये बंदर-बाँट सरकारी तो पहले से भी बढ़ कर है हर इक लीडर का दा'वा है तरक़्क़ी मुल्क ने कर ली वतन में भूक बेकारी तो पहले से भी बढ़ कर है किसी दफ़्तर में तुम जाओ सभी जेबें टटोलेंगे कि हर-सू लूट सरकारी तो पहले से भी बढ़ कर है बने क़ानून हैं 'परवेज़' कितने फ़ाएदा क्या है वतन में चोर-बाज़ारी तो पहले से भी बढ़ कर है