सुब्ह-ए-वजूद हूँ कि शब-ए-इंतिज़ार हूँ मैं आश्कार हूँ कि पस-ए-आश्कार हूँ हर रंग-ए-बे-क़रार हूँ हर नक़्श-ए-ना-तमाम मिट्टी का दर्द हूँ कि सितारों का प्यार हूँ कुछ तो मिरे वजूद का हिस्सा है तेरे पास वर्ना मैं अपने आप में क्यूँ इंतिज़ार हूँ इक और आसमान चमकता है ख़्वाब में इक और काएनात का आईना-दार हूँ तू ने मुझे ख़याल किया था इसी तरह गर्द-ओ-ग़ुबार में भी सितारा-शिआर हूँ जारी हो बे-महार तअल्लुक़ की सलसबील इक ऐसी बर्शगाल का उम्मीद-वार हूँ कैसे खड़ा हूँ किस के सहारे खड़ा हूँ मैं अपना यक़ीन हूँ कि तिरा ए'तिबार हूँ इक बार अपने घर से निकाला गया था मैं फिर इस के ब'अद गर्दिश-ए-लैल-ओ-नहार हूँ बस कुछ दिनों की और सऊबत है धूप की सहरा-ए-जिस्म पार कोई बर्ग-ज़ार हूँ तेरे जमाल से मिरी आँखों में नूर है तेरा ख़याल है तो मैं बाग़-ओ-बहार हूँ साँसों के दरमियान सुलगते हैं बाल-ओ-पर फिर भी किसी उड़ान का उम्मीद-वार हूँ 'अहमद' किसी ज़मान-ओ-मकाँ का नहीं हूँ मैं लम्हों की देर है जो सर-ए-आबशार हूँ