सुन मिरे दिल की ज़रा आवाज़ दोस्त ऐ मिरे मोहसिन मिरे हमराज़ दोस्त दिल में है इक वहशत-ए-कर्ब-ओ-बला तू मिरे सीने में बजता साज़ दोस्त जो तपिश सूरज की सह सकते नहीं वो किया करते नहीं परवाज़ दोस्त दर्द सहने में जिन्हें लज़्ज़त मिली पा सके वो लोग ही ए'जाज़ दोस्त ज़िंदगी भर जो न भर पाए कभी बख़्श तू इस ज़ख़्म का ए'ज़ाज़ दोस्त क्या ख़ुलूस-ए-आदमियत है यही ज़िंदगी का है यही अंदाज़ दोस्त क्या बताएँ राज़-ए-दिल अब हम तुझे दिल से कब छुपता है कोई राज़ दोस्त मौत है वा'दा वफ़ा करने का नाम इक हयात-ए-नौ का है आग़ाज़ दोस्त ख़्वाब है 'तारिक़' ख़याल-ए-ज़िंदगी प्यास का सहरा तिरी आवाज़ दोस्त