सुनने वाले फ़साना तेरा है By Ghazal << तब्अ इशरत-पसंद रखता हूँ सुना के अपने ऐश-ए-ताम की ... >> सुनने वाले फ़साना तेरा है सिर्फ़ तर्ज़-ए-बयाँ ही मेरा है यास की तीरगी ने घेरा है हर तरफ़ हौल-नाक अंधेरा है इस में कोई मिरा शरीक नहीं मेरा दुख आह सिर्फ़ मेरा है चाँदनी चाँदनी नहीं 'अख़्तर' रात की गोद में सवेरा है Share on: