सुपुर्दगी का वलवला जमाल में नहीं मिला मुझे फुसून-ए-बे-खु़दी विसाल में नहीं मिला जो आइने से किर्चियों के दरमियाँ का था सफ़र शिकस्त-ए-ज़ात की किसी मिसाल में नहीं मिला अलम-नसीब शाम में है मेहर-ए-जाँ बुझा बुझा नशात-ए-रंज भी मुझे मआल में नहीं मिला हज़ार यासमीन मुश्क-बू हूँ तेरे क़ुर्ब में चमन का अक्स तेरे ख़द्द-ओ-ख़ाल में नहीं मिला वो सर-बुरीदा चाँद भी ग़ुरूब हो गया मगर सितारा-ए-सहर शब-ए-ज़वाल में नहीं मिला 'नदीम' हर क़दम पे दर्द-ए-बे-अमाँ का दर खुला सुकून इस जहान-ए-बे-मिसाल में नहीं मिला