इतनी मुद्दत बा'द मिले हो कुछ तो दिल का हाल कहो कैसे बीते हम बिन प्यारे इतने माह-ओ-साल कहो रूप को धोका समझो नज़र का या फिर माया-जाल कहो प्रीत को दिल का रोग समझ लो या जी का जंजाल कहो आँखों देखी क्या बतलाएँ हाल अजब कुछ देखा है दुख की खेती कितनी हरी और सुख का जैसे काल कहो एक वफ़ा को ले के तुम्हारी सारी बाज़ी खेल गए यारों ने तो वर्ना चली थी कैसी कैसी चाल कहो ठेस लगी है कैसी दिल पर हम से खिंचे से रहते हो आख़िर प्यारे आया कैसे इस शीशे में बाल कहो 'सय्यद' जी क्या बीती तुम पर खोए खोए रहते हो कुछ तो दिल की बात बताओ कुछ अपने अहवाल कहो