हर इक दाग़-ए-दिल शम्अ' साँ देखता हूँ तिरी अंजुमन ज़ौ-फ़िशाँ देखता हूँ तअ'य्युन से आज़ाद हैं मेरे सज्दे जबीं पर तिरा आस्ताँ देखता हूँ फ़रेब-ए-तसव्वुर है क़ैद-ए-क़फ़स है हर इक शाख़ पर आशियाँ देखता हूँ मैं राह-ए-तलब का हूँ पसमाँदा रह-रव ग़ुबार-ए-रह-ए-कारवाँ देखता हूँ ब-अंदाज़ा-ए-ज़ौक़-ए-ईज़ा-पसंदी उसे आज मैं मेहरबाँ देखता हूँ पिला कर मुझे महरम-ए-होश रक्खा ये ए'जाज़-ए-पीर-ए-मुग़ाँ देखता हूँ मिरी ज़िंदगी महरम-ए-ग़म है 'ताबिश' नफ़स को ब-रंग-ए-फ़ुग़ाँ देखता हूँ