हाथ मलता है पशीमान-ए-जफ़ा मेरे बा'द ख़ैर यूँ बढ़ गई तौक़ीर-ए-वफ़ा मेरे बा'द ख़ुद से महजूब है ख़ुद उन की हया मेरे बा'द हुस्न मग़्मूम है मा'ज़ूर-ए-अदा मेरे बा'द रंग लाएगी मिरी आह-ए-रसा मेरे बा'द तुम मुझे याद करोगे ब-ख़ुदा मेरे बा'द हो गए ज़र्द कफ़-ए-दस्त-ए-निगारीं अफ़्सोस ख़ैर सरसब्ज़ तो है नख़्ल-ए-हिना मेरे बा'द सोगवारी में हसीनों ने बढ़ाए झूले कितनी बे-कैफ़ है सावन की फ़ज़ा मेरे बा'द क्यूँ नदामत से तह-ए-ख़ाक गड़ा जाता हूँ तुम ने किस दिल से मुझे याद किया मेरे बा'द अब कहाँ हैं वो लब-ए-बाम क़मर के जल्वे उन की सूरत को तरसती है फ़ज़ा मेरे बा'द क़ब्र पर लाए चढ़ाने को मिरी आईना यूँ उठी मय्यत-ए-अंदाज़-ओ-अदा मेरे बा'द भूल जाते हैं वो अब रोज़ लगाना मेहंदी रोज़ पिसने को तरसती है हिना मेरे बा'द मर के क्या चैन मिले अब ये ख़लिश है 'तालिब' बा-वफ़ा बन गए अर्बाब-ए-जफ़ा मेरे बा'द