तमन्ना मुद्दआ अरमान दिल के अज़ल से हैं यही सामान दिल के इलाही इस दिल-ए-बे-चैन की ख़ैर जो क़ाबू में है इक अंजान दिल के जफ़ा सहना मगर उफ़ तक न करना जिगर के मैं फ़िदा क़ुर्बान दिल के नहीं आते न आएँ वो मिरे घर तसव्वुर में तो हैं मेहमान दिल के किसी का हूँ किसी का मैं अबद तक ये हैं वा'दे ये हैं पैमान दिल के नबर्द-ए-ज़िंदगी मुश्किल नहीं है ख़ता लेकिन न हों औसान दिल के अगर है ज़िंदगी के राग का शौक़ 'अमीं' खोले रहो तुम कान दिल के