तर्क कर दिया हम ने हुस्न पर ग़ज़ल लिखना वक़्त का तक़ाज़ा है मसअलों के हल लिखना है बदन तो इंसाँ का लज़्ज़तों का इक दलदल लज़्ज़तों के दलदल में रूह को कँवल लिखना ज़िंदगी के सफ़्हों पर ख़ून और पसीने से आज बस अमल लिखना फिर हसीन कल लिखना ऊँचे ऊँचे ओहदे हैं हाथ कट भी सकते हैं बे-ज़मीर लोगों पर सोच कर ग़ज़ल लिखना हादसों में बच जाना मो'जिज़ा लगे जब भी साँस की रिफ़ाक़त को नेकियों का फल लिखना ख़ुद-नविश्त जब अपनी तुम 'शकील' लिखोगे ज़िंदगी के माथे का एक एक बल लिखना