तसव्वुर कहकशाँ होता नहीं है तो अब मुझ से बयाँ होता नहीं है तड़प मेरी जबीं की बढ़ गई है मगर तू आस्ताँ होता नहीं है मिरी क़िस्मत में है जलता सितारा बिखर के जो धुआँ होता नहीं है मिरी साँसों में तू अटका हुआ है तबीअ'त में रवाँ होता नहीं है ख़ुशी अब भी मुझे होती है लेकिन वो पहला सा समाँ होता नहीं है वो दरिया है जहाँ इक बार गुज़रे वो रस्ता बे-निशाँ होता नहीं है मैं उस के साथ चलती जा रही हूँ जो मेरा कारवाँ होता नहीं है तुझे अश्कों में मैं कैसे बहा दूँ तू मुझ से राएगाँ होता नहीं है मिरे लफ़्ज़ों में है ज़ाहिर मगर तू निगाहों से अयाँ होता नहीं है