तस्कीन दे सकेंगे न जाम-ओ-सुबू मुझे बेचैन कर रही है तिरी आरज़ू मुझे मुझ से तलाश-ए-राह की दुश्वारियाँ न पूछ भटका रहा है ज़ौक़-ए-सफ़र चार-सू मुझे बज़्म-ए-असर-फ़रेब की तब्दीलियाँ तो देख मग़्मूम आ रहे हैं नज़र ख़ूब-रू मुझे तेरी नज़र न जान सकी मेरे दिल का हाल क्या मुतमइन करेगी तिरी गुफ़्तुगू मुझे ऐ 'नक़्श' इज़्तिराब-ए-दिल-ओ-जाँ को क्या करूँ बर्बाद कर रहा है ग़म-ए-आरज़ू मुझे